Mehndi Design For Karwa Chauth || Mehndi Design For Karva Chauth || Mehndi Designs For Karwa Chauth

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Karva Chauth Vrat Katha

करवा चौथ के व्रत से जुड़ी सबसे प्रचलित कथा वीरवती की है, लेकिन इसके अलावा भी कई अन्य पौराणिक और धार्मिक कथाएं हैं। ये कथाएं न केवल इस व्रत का महत्व बताती हैं, बल्कि एक पुरुष और एक स्त्री के प्रेम और निष्ठा का अद्भुत उदाहरण भी प्रस्तुत करती हैं। आइए इन कथाओं को और गहराई से जानें।

करवा और यमराज की कथा

करवा चौथ के व्रत और करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री से जुड़ी एक और प्रचलित कथा है। करवा अपने पति के प्रति अत्यधिक समर्पित थी और उसकी निष्ठा और प्रेम ने यमराज को भी हार मानने पर मजबूर कर दिया।

कथा के अनुसार, करवा अपने पति के साथ नदी किनारे रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान करने गया, जहां एक मगरमच्छ ने उसे पकड़ लिया। जब करवा ने यह देखा, तो वह तुरंत अपने पति की मदद करने आई। उसने मगरमच्छ को कपड़े से बांधा और सीधे यमराज के पास गई।

करवा ने यमराज से मगरमच्छ को मारने और उसके पति की रक्षा करने की प्रार्थना की। यमराज ने कहा कि मगरमच्छ की आयु अभी समाप्त नहीं हुई है, इसलिए वे उसे नहीं मार सकते। पति के प्रति अत्यंत निष्ठावान करवा ने यमराज से कहा, "यदि आप मेरे पति की रक्षा नहीं करेंगे तो मैं आपको श्राप देकर नष्ट कर दूंगी।" करवा के दृढ़ निश्चय और भक्ति को देखकर यमराज ने मगरमच्छ को मार डाला और उसके पति को जीवनदान दिया।

इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चे प्रेम और भक्ति से मृत्यु को भी हराया जा सकता है। करवा चौथ भी इसी कथा से जुड़ा माना जाता है और यह व्रत करवा की भक्ति और शक्ति का प्रतीक है।

सत्यवान और सावित्री की कथा

करवा चौथ से जुड़ी एक और प्रचलित कथा सत्यवान और सावित्री की है। यह कथा एक पतिव्रता स्त्री के प्रेम, साहस और भक्ति की गाथा है, जिसमें सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस दिलाए थे।

सावित्री और सत्यवान की कथा के अनुसार सावित्री ने वनवासी राजा सत्यवान से विवाह किया था, जिनके जीवन पर श्राप था कि उनकी मृत्यु अल्पायु में ही हो जाएगी। जब सत्यवान की मृत्यु का समय निकट आया तो सावित्री ने कठोर तप और व्रत करना शुरू कर दिया। जब यमराज सत्यवान की आत्मा को लेने आए, तो सावित्री उनके पीछे-पीछे गईं और उनसे अपने पति को जीवन देने की प्रार्थना की।

सावित्री की दृढ़ भक्ति और पतिव्रत धर्म से प्रभावित होकर यमराज ने सत्यवान को जीवन दे दिया। यह कथा करवा चौथ व्रत के महत्व को और बढ़ाती है, क्योंकि यह पति-पत्नी के बीच अटूट प्रेम और विश्वास की शक्ति को दर्शाती है।

रीति-रिवाज और परंपराएं

करवा चौथ का व्रत भारतीय महिलाओं के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं और चांद दिखने तक बिना कुछ खाए-पिए व्रत रखती हैं। सरगी उनकी सास द्वारा दी जाती है और इसे रिश्तों के सम्मान का प्रतीक माना जाता है।

पूरे दिन उपवास रखने के बाद शाम को महिलाएं एकत्रित होकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। कथा सुनने के बाद वे चांद को अर्घ्य देती हैं और अपने पति के हाथों से पहला निवाला खाती हैं। इस अनुष्ठान के दौरान महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं।

करवा चौथ का सामाजिक और पारिवारिक महत्व

करवा चौथ न केवल धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा व्रत है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का भी प्रतीक है। भारतीय समाज में वैवाहिक संबंधों को मजबूत करने के लिए भी इस व्रत को महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं न केवल अपने पति के लिए व्रत रखती हैं, बल्कि उनका आशीर्वाद और सहयोग पाने के लिए पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा भी करती हैं।


Final Word

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