Karwa Chauth Mehndi Designs || Karva Chauth Mehandi Design || Karva Chauth Ki Kahani

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Karva Chauth Ki Kahani

करवा चौथ का व्रत भारतीय महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, जो अपने पतियों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए इसे पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ रखती हैं। इस व्रत से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कहानी वीरवती की है। आइए, इस कथा को विस्तार से जानते हैं:

वीरवती की कथा

बहुत समय पहले की बात है, एक राजा की सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी का नाम वीरवती था, जो बहुत ही सुंदर, कोमल और प्यारी थी। राजा और उसके सात भाई वीरवती से बहुत प्रेम करते थे। जब वीरवती का विवाह एक राजा से हुआ, तो पहली बार उसने करवा चौथ का व्रत अपने पति की लंबी आयु के लिए रखा।

वीरवती अपने मायके में थी जब उसने यह व्रत रखा। करवा चौथ के दिन उसने सूर्योदय से पहले सरगी खाई और पूरे दिन उपवास शुरू कर दिया। दिनभर वीरवती ने बिना अन्न-जल ग्रहण किए व्रत किया, लेकिन दिन ढलते-ढलते उसे भूख और प्यास से बहुत कमजोरी महसूस होने लगी। वीरवती के सातों भाई अपनी बहन को इस हालत में देखकर दुखी हो गए और उससे कहा कि वह व्रत तोड़ दे। लेकिन वीरवती अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखना चाहती थी और उसने मना कर दिया।

भाइयों की चाल

वीरवती के भाइयों ने उसकी चिंता करते हुए उसे धोखे से व्रत तुड़वाने की योजना बनाई। उन्होंने दूर एक पहाड़ी पर आग जलाकर ऐसा दिखाया जैसे चांद निकल आया हो। भाइयों ने वीरवती से कहा, "देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम अपना व्रत खोल सकती हो।" वीरवती ने भाइयों की बातों पर विश्वास किया और बिना आसमान में चांद देखे ही उसने व्रत तोड़ दिया।

जैसे ही वीरवती ने पहला निवाला लिया, उसी क्षण उसका पति बेहोश हो गया और कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो गई। वीरवती इस हादसे से बहुत दुखी हो गई और वह अपने पति के मृत शरीर के पास बैठकर रोने लगी।

वीरवती की भक्ति

वीरवती के पति की मृत्यु के बाद वह लगातार रोती रही और अपनी गलती का प्रायश्चित करने के लिए भगवान से प्रार्थना करती रही। उसकी भक्ति और तपस्या को देखकर देवी पार्वती प्रकट हुईं और उन्होंने वीरवती से कहा, "तुमने अनजाने में व्रत तोड़ा है, इसलिए तुम्हारे पति की मृत्यु हुई है। लेकिन अगर तुम पूरे श्रद्धा और निष्ठा के साथ करवा चौथ का व्रत रखोगी, तो तुम्हारा पति पुनः जीवित हो जाएगा।"

वीरवती ने देवी पार्वती के वचनों का पालन किया और दुबारा करवा चौथ का व्रत पूरी श्रद्धा और विधि से रखा। उसकी भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर यमराज ने उसके पति को जीवनदान दिया, और इस प्रकार वीरवती का पति पुनः जीवित हो गया।

करवा चौथ का महत्व

इस कथा के माध्यम से करवा चौथ का महत्व स्पष्ट होता है। यह व्रत न केवल पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक भी है। इस व्रत में महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। करवा चौथ की कथा सुनना और इस व्रत को विधिपूर्वक निभाना भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


Final Word

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