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करवा चौथ व्रत कब है, कहानी कथा पूजा
दोस्तों करवा चौथ का व्रत स्त्रियो का मुख्य त्योहार है. यह व्रत सुहागन महिलाये अपने पति की दीर्घायु के लिए करती है. दोस्तों करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सुहागन स्त्रियो द्वारा किया जाता है. दोस्तों यह व्रत हर विवाहित महिला अपने रिवाजो के अनुसार रखती है और अपने जीवन साथी की अच्छी सेहत तथा अच्छी उम्र की प्रार्थना भगवान से करती है. दोस्तों आज कल यह व्रत कुवारी लडकिया भी अच्छे पति की प्राप्ति के लिए रखती है.
करवा चौथ व्रत का दिन व मुहूर्त कब है?
वर्ष 2023 मे करवा चौथ का दिन, तारीख तथा मुहूर्त: इस साल करवा चौथ का व्रत बुधवार, 1 नवंबर 2023 को है. चतुर्थी तिथि का आरम्भ 31 अक्टूबर को रात के 9:30 पर होगा, जबकि इसका समापन 1 नवंबर को रात के 9:19 बजे होगा. इसलिए करवा चौथ का व्रत उदया तिथि के अनुसार 1 नवंबर को रखा जाएगा. करवा चौथ व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर को शाम के 5:36 बजे से शुरू होकर शाम के 6:54 बजे तक है. इस दिन पूजा का अमृत काल मुहूर्त शाम 7:34 बजे से शुरू होकर 9:13 बजे तक रहेगा. इस दौरान करवा चौथ की पूजा करने का सबसे अच्छा समय है.
करवा चौथ व्रत की कहानी या कथा
दोस्तों जब भी कोई स्त्री करवा चौथ का व्रत करती है, तो वह व्रत के दौरान कथा सुनती है. व्रत के दौरान कथा सुनने की यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है. इस व्रत की कथा या कहानी जो कि सुहागन स्त्रियो के द्वारा सुनी जाती है वह इस प्रकार है :
दोस्तों एक नगर मे एक साहूकार रहता था. उसके सात लड़के और एक लड़की थी . कार्तिक महीने मे जब कृष्ण पक्ष की चतुर्थी आई, तो साहूकार के परिवार की महिलाओ ने भी करवा चौथ व्रत रखा. दोस्तों जब रात्री के समय साहूकार के बेटे भोजन ग्रहण करने बैठे, तो उन्होने साहूकार की बेटी को भी साथ मे भोजन करने के लिए कहा. भाइयो के द्वारा भोजन करने का कहने पर उनकी बहन ने उत्तर दिया, कि आज मेरा व्रत है. मै चाँद के निकलने पर पूजा विधि सम्पन्न करके ही भोजन करूंगी. दोस्तों भाइयो के द्वारा बहन का भूख के कारण मुर्झाया हुआ चेहरा देखा नहीं गया. दोस्तों तो उन्होने अपनी बहन को भोजन कराने के लिए प्रयत्न किया. उन्होने घर के बाहर जाकर अग्नि जला दी.
दोस्तों उस अग्नि का प्रकाश अपनी बहन को दिखाते हुये कहा की देखो बहन चाँद निकाल आया है. तुम चाँद को अर्ध्य देकर और अपनी पूजा करके भोजन गृहण कर लो. दोस्तों अपने भाइयो द्वारा चाँद निकलने की बात सुनकर बहन ने अपनी भाभीयों के पास जाकर कहा. भाभी चाँद निकल आया है चलो पूजा कर ले. दोस्तों परंतु उसकी भाभी अपने पतियों द्वारा की गयी युक्ति को जानती थी. उन्होने अपनी नन्द को भी इस बारे मे बताया और कहा की आप भी इनकी बात पर विश्वास ना करे. दोस्तों परंतु बहन ने भाभीयों की बात पर ध्यान ना देते हुये पूजन संपन्न कर भोजन गृहण कर लिया. इस प्रकार उसका व्रत टूट गया और गणेश जी उससे नाराज हो गए.
दोस्तों इसके तुरंत बाद उसका पति बीमार हो गया और घर का सारा रुपया पैसा और धन उसकी बीमारी में खर्च हो गया. दोस्तों अब जब साहूकार की बेटी को अपने द्वारा किए गए गलत व्रत का पता चला, तो उसे बहुत दुख हुआ. उसने अपनी गलती पर पश्चाताप किया . दोस्तों अब उसने पुनः पूरे विधि विधान से व्रत का पूजन किया तथा गणेश जी की आराधना की.
दोस्तों इस बार उसके व्रत तथा श्रध्दा भक्ति को देखते हुये भगवान गणेश उस पर प्रसन्न हो गए. उसके पति को जीवन दान दिया और उसके परिवार को धन तथा संपत्ति प्रदान की. दोस्तों इस प्रकार जो भी श्रध्दा भक्ति से इस करवा चौथ के व्रत को करता है, वो सारे सांसारिक क्लेशो से मुक्त होकर प्रसन्नता पूर्वक अपना जीवन यापन करता है.
करवा चौथ व्रत उद्यापन विधि
दोस्तों जब किसी महिला को करवा चौथ व्रत को करते हुये काफी समय हो जाता है, तो वह अपनी इच्छा अनुसार अपने व्रत का उद्यापन कर सकती है. दोस्तों करवा चौथ व्रत की उद्यापन विधि के लिए महिलाये अपने घर मे पूड़ी तथा हलवा बनाती है. दोस्तों अब इन पुड़ियो को एक थाली मे चार-चार के ढेर मे तेरह जगह रखते है. अब इन पुड़ियो के उप्पर थोड़ा थोड़ा हलवा रखते है. दोस्तों अब इसके उप्पर साडी ब्लाउस अपनी इच्छा अनुसार रूपय रखकर तथा उसके आसपास कुमकुम चावल लगाते है. अब इसे अपनी सासु माँ के चरण स्पर्श कराकर उन्हे देते है . दोस्तों अब इन सब के बाद तेरह ब्राह्मणो को भोजन कराते है और उनका पूजन करके तथा दक्षिणा देकर बिदा करते है.
दोस्तों कुछ स्त्रीया इस दिन उद्यापन के लिए अन्य सुहागन स्त्रियो को भोजन भी कराति है. इसके लिए जो भी स्त्रिया करवा चौथ का व्रत करती है, उन्हे उद्यापन की सुपारी उद्यापन करने वाली महिला द्वारा पहले ही दे दी जाती है. दोस्तों करवा चौथ व्रत वाले दिन सारी महिलाये अपनी पूजा कर उद्यापन वाली महिला के घर जाकर अपना भोजन करती है. दोस्तों भोजन के बाद इन सभी महिलाओ को बिंदी लगाकर और सुहाग की सामग्री देकर बिदा किया जाता है. इस प्रकार करवा चौथ व्रत की उद्यापन विधि संपन्न होती है.
करवा चौथ पर महिलाओ द्वारा किया गया श्रंगार
दोस्तों वैसे तो हिंदुस्तान मे हर त्योहार पर महिलाओ का श्रंगार स्वाभाविक है. दोस्तों परंतु जब बात करवा चौथ की आती है, तो स्त्रियो का उत्साह ही अलग होता है. दोस्तों इस दिन स्त्रीया पूरे सोलह श्रंगार करती है. बल्कि इस दिन के लिए सजने की तैयारी कई दिनो पहले से ही शुरू कर दी जाती है. दोस्तों महिलाये पार्लर जाती है मेहंदी लगवाती है. और व्रत वाले दिन विशेष कपड़े पहनती है, गहने पहनती है. दोस्तों गहनों मे सबसे खास चीज होती है स्त्री द्वारा पहनी गयी नथ. दोस्तों नथ के पहनने से स्त्री की सुंदरता और भी बढ़ जाती है और उसकी सुंदरता मे चार चाँद लग जाते है.
करवा चौथ व्रत की पूजा विधि
दोस्तों करवा चौथ व्रत की पूजा को करते वक़्त एक पटे पर जल से भरा लोटा एवं एक करवे मे गेहु भरकर रखते है. दोस्तों इस दिन पूजन के लिए दीवार पर या कागज पर चंद्रमा तथा उसके नीचे भगवान शिव और कार्तिकेय की प्रतिमा बनाई जाती है और इसी प्रतिमा की पूजा स्त्रियो द्वारा की जाती है. दोस्तों इस दिन महिलाये सारा दिन व्रत रखती है, यहा तक की वे जल और फल भी ग्रहण नहीं करती. दोस्तों दिन भर की कठोर तपस्या के बाद जब रात्री मे चंद्रमा के दर्शन होते है, तब चंद्रमा की पूजा के बाद यह व्रत पूर्ण होता है. दोस्तों करवा चौथ व्रत मे रात्री की पूजा मे चंद्रमा को अर्द्ध देना, महत्वपूर्ण है. दोस्तों हर वो स्त्री जो व्रत करती है वो चंद्रमा को अर्द्ध जरूर देती है और फिर व्रत पूर्ण होता है. दोस्तों अब अपने व्रत को पूर्ण कर स्त्रिया रात्री मे जल तथा भोजन गृहण करती है.
दोस्तों जब कोई स्त्री एक बार इस व्रत को करना प्रारंभ कर देती है, तो उसे यह व्रत जीवन पर्यंत करना पड़ता है. दोस्तों इसलिए यह जरूरी नहीं है ,कि हर उम्र मे निर्जला रहकर ही यह व्रत किया जाए. दोस्तों एक बार जब सुहागन महिला इस व्रत का उजन कर देती है, तो वह अपनी सुविधा अनुसार व्रत के समय फल, जल और अन्य चीजे ग्रहण कर सकती है. दोस्तों कुछ इसी तरह से हरतालिका तीज का व्रत भी निर्जला रहा जाता है.
Final Word
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